Makar Sankranti: मकर सक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करते है। वर्ष में छः माह सूर्य उत्तरायण और छः माह सूर्य दक्षिणायन होता हैं। अतः इस पर्व को उत्तरायण भी कहते हैं। उत्तर भारत में इसे लोहिडी ,पतंगोंत्सव एवं खिचड़ी पर्व भी कहा जाता हैं। दक्षिण में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता हैं। भारत के मध्य में इसे मकर सक्रांति या उत्तरायण भी कहा जाता हैं।
Makar Sankranti: मकर सक्रांति का महत्व
इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद दिन बड़े होने लगते हैं। यह त्योहार नई फसल के आगमन का भी प्रतीक है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, यानी सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं। जिसे सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन दान और पूजा-पाठ का भी विशेष महत्व है।
मकर सक्रांति के दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध तथा तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। शास्त्रोंनुसार इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता हैं –
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। सामान्यत: भारतीय पंचाग पद्धति की समस्त तिथियाँ चंद्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है।
मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार मकर सक्रांति से देवताओं का दिन प्रारंभ होता है , जो आषाढ़ माह तक रहता है । महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर सक्रांति का ही दिन तय किया था । मकर सक्रांति के दिन ही गंगाजी राजा भागीरथ के पीछ-पीछे बह कर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में मिली थी । राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन ही तर्पण किया था इसलिए मकर सक्रांति पर गंगासागर में मेला भरता हैं ।
सूर्य देव का अपने पुत्र शनि से मिलन
मकर संक्रांति को देवताओं का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं।
भीष्म पितामह
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह सूर्य के उत्तरायण होने पर ही त्यागी थी।
असुरों का अंत
इस दिन ही देवासुर संग्राम में भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी।
राजा भागीरथ
मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन ही तर्पण किया था।
मकर सक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
मकर सक्रांति से सूर्य उत्तरायण
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है और इस दिन से रात छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं। मकर सक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाता हैं। वर्ष में छः माह सूर्य उत्तरायण और छः माह सूर्य दक्षिणायन होता हैं। अतः इस पर्व को उत्तरायण भी कहते हैं। मकर सक्रांति से लेकर कर्क सक्रांति तक छः माह तक सूर्य उत्तरायण रहता हैं।
मकर सक्रांति के तिल और गुड के विशेष व्यंजन एवं इसके स्वास्थ्य लाभ
मकर सक्रांति के दिन गुड और तिल से बने व्यंजन बनाए जाते हैं। गुड-तिल ,गजक और रेवड़ी का प्रसाद बाटा जाता है। उत्तर भारत में खिचड़ी का भोग लगाया जाता हैं। इस समय तापमान कम होने से गरम प्रकृति के पकवान बनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति और सूर्य उपासना का गहरा संबंध
सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हैं इसलिए यह पर्व सूर्य देव को समर्पित है। और यह एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है। इस खास दिन पर लोग सुबह पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
इस वर्ष कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति ?
मकर संक्रांति, पौष महीने में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाई जाती है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार सन् 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी , मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान सूर्य देव सुबह 9.03 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अतः मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी 2025 को ही मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति पर स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
इस दिन गंगा स्नान और दान का शुभ समय मुहूर्त प्रातः 9:03 बजे से सायं 05:46 बजे तक है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान और दान करने वाले को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
Makar Sankranti: मकर संक्रांति पर पूजा विधि
- मकर संक्रांति की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। नहाने के पानी में गंगाजल और तुलसी के पत्ते डालकर स्नान करें। स्नान के बाद साफ या नए कपड़े पहनें।
- फिर तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्पित करें।
- इसमें कुमकुम, चावल और तिल मिलाएं। सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें।
- लाल फूल, धूपबत्ती, दीप, प्रसाद (तिल के लड्डू, गुड़) आदि चढ़ाएं।
- मकर संक्रांति के दिन दान करना शुभ माना जाता है।
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