Ganesh Chaturthi 2024 : गणेश चतुर्थी पर इन उपायों से दूर होंगी सभी विघ्न-बाधाएं

Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi : सनातन संस्कृति में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार इसी दिन रिद्धि सिद्धि के दाता, विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी को पूजा जाता हैं। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। श्री गणेश जी सुख समृद्धि दाता भी है। इनकी कृपा से परिवार पर आने वाले संकट और विध्न दूर हो जाते हैं। 

हरियाली तीज : मनचाहे वर और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति

हरियाली तीज

हरियाली तीज : प्रति वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और कुंवारी लड़कियां, दोनों करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, हरियाली तीज व्रत को करने से विवाहित महिलाओं का जीवन खुशियों से भर जाता है और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, कुंवारी लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं।

Amavasya : अमावस्या भी खास है सनातन में साधना के लिए

Amavasya : अमावस्या भी खास है सनातन धर्म में

अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे “अमावस” भी कहा जाता है इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान करने से पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है अमावस्या का दिन ध्यान, साधना और पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

हरियाली अमावस्या 2024 : धार्मिक महत्त्व

हरियाली अमावस्या

सनातन धर्म में हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है। हरियाली अमावस्या श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आती है। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना है, हरियाली अमावस्या को विशेष रूप से नवग्रह को अनुकूल करने के महत्व के लिए जाना जाता है। हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व अनेक पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि : दस महाविद्याओं की साधना से सिद्धियों की प्राप्ति

गुप्त नवरात्रि : दस महाविद्याओं की साधना से सिद्धियों की प्राप्ति

प्रतिवर्ष चार नवरात्रि होती है, दो नवरात्रि – चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में होती है और दो नवरात्रि आषाढ़ और माघ महीने की शुक्ल पक्ष में होती है। आषाढ़ और माघ माह की प्रतिपदा में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि एक विशेष नवरात्रि होती है जिसमें विशेष साधना और पूजा की जाती है। यह मुख्य रूप से तंत्र साधना से जुड़ी होती है। गुप्त नवरात्री में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

Holika Dahan 2024 : होली पर करें चमत्कारिक उपाय , दूर होगें संकट

Holika Dahan 2024 : होली पर करें चमत्कारिक उपाय , दूर होगें संकट

। होलिका दहन पर विभिन्न परेशानियों के लिए एक से अधिक विशेष उपाय कर सकते हैं। होली एवं दीवाली ऐसे विशेष अवसर हैं जब हर प्रकार की साधनाएं , तांत्रिक क्रियाएं तथा छोटे-छोटे उपाय भी सार्थक हो जाते हैं। ये सभी उपाय होलिका दहन में किए जाते हैं। आप भी अपनी समस्याओं के अनुसार उपाय करें ।

गणगौर Gangaur – इच्छित वर और उसकी दीर्घायु का त्यौहार

गणगौर Gangaur

गणगौर Gangaur – गण (शिव) और गौरी (पार्वती) से मिलकर बना गणगौर। गणगौर Gangaur इच्छित वर और उसकी दीर्घायु का त्यौहार है। गणगौर के रुप में गौरी पूजन एक अनूठा अनुष्ठान है जो कुंवारी और विवाहिताएं समान रूप से मनाती हैं।

नवरात्रि (Navaratri): शक्ति की उपासना का पर्व

Navaratri

नवरात्रि में देवी की उपासना अत्यन्त फलदायी मानी गई हैं। इस समय का उचित लाभ उठाएं तो यह साधनकाल साधक के आध्यात्मिक विकास में तो सहायक होता ही है, उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को भी निखारता है।

गुरू पूर्णिमा 2024: गुरु की कृपा से जीवन में सफलता निश्चित

गुरू पूर्णिमा का महत्त्व

सनातन संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस पूर्णिमा पर भगवान शिव ने दक्षिणामूर्ति का रूप धारण कर ब्रह्माजी के चार मानस पुत्रों को वेदों का ज्ञान प्रदान किया। इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ।

देवशयनी एकादशी 2024 को बन रहे दुर्लभ संयोग, व्रत और पूजा से मिलेगा मनोवांछित फल

देवशयनी एकादशी 2024

देवशयनी एकादशी 2024 के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बन रहे हैं। ये सभी योग पूजा पाठ और शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं।ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति वाला माना जाता हैं। इस दिन व्रत करने से जाने अनजाने में हुए पापों का नाश होता हैं एवम् मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।