ग्रहण (सूर्य एवं चंद्र): वैज्ञानिक कारण, ज्योतिषीय प्रभाव एवं धार्मिक नियम | ग्रहण में क्या करें और क्या न करें ?

प्रकृति का हर चमत्कार हमें ब्रह्मांड की रहस्यमयी शक्ति का अहसास कराता है। इन्हीं अद्भुत घटनाओं में से एक है ग्रहण (Eclipse) – एक ऐसा समय जब सूर्य या चंद्रमा कुछ क्षणों के लिए छिप जाते हैं।
भारत जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक देश में, ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव होता है।

Table of Contents

इस लेख में हम जानेंगे:

  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ग्रहण क्या है?
  • ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
  • ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें?
  • 2025 में कब-कब ग्रहण पड़ेंगे?

ग्रहण (Eclipse): वैज्ञानिक दृष्टिकोण

ग्रहण (Eclipse) एक खगोलीय घटना है जब एक खगोलीय पिंड (जैसे चंद्रमा या पृथ्वी) दूसरे पिंड (जैसे सूर्य) और प्रेक्षक के बीच आकर उसकी रोशनी को अस्थायी रूप से अवरुद्ध कर देता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ग्रहण दो प्रकार के होते हैं:

1. सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)

  • जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने से रोकता है।
  • यह अमावस्या के दिन होता है।
  • प्रकार:
    • पूर्ण सूर्य ग्रहण (जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढक लेता है)।
    • आंशिक सूर्य ग्रहण (जब चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ढकता है)।
    • वलयाकार सूर्य ग्रहण (जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह न ढककर एक “आग की अंगूठी” जैसा दिखाई देता है)।

2. चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse)

  • जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी पड़ने से रोकती है।
  • यह पूर्णिमा के दिन होता है।
  • प्रकार:
    • पूर्ण चंद्र ग्रहण (जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाता है)।
    • आंशिक चंद्र ग्रहण (जब चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढकता है)।

वैज्ञानिक महत्व:

  • ग्रहणों से खगोलविदों को सूर्य और चंद्रमा की संरचना, पृथ्वी की गति और ब्रह्मांडीय घटनाओं का अध्ययन करने में मदद मिलती है।
  • ऐतिहासिक रूप से, ग्रहणों ने विज्ञान में अनेक खोजों को प्रेरित किया है, जैसे सापेक्षता का सिद्धांत (आइंस्टीन) की पुष्टि।

ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है जो खगोलीय पिंडों की स्थिति और गति के कारण होती है।

ग्रहण (Eclipse): ज्योतिषी एवं धार्मिक दृष्टिकोण

ग्रहण: ज्योतिषीय एवं धार्मिक दृष्टिकोण

NASA और अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संस्थान से पहले भारतीय ज्योतिष ग्रहणों की भविष्यवाणी वर्षों पहले कर देते हैं।

1. ज्योतिषीय मान्यताएँ (Astrological Beliefs)

  • ग्रहण को ज्योतिष में एक शुभ-अशुभ घटना माना जाता है, जो ग्रहों और राशियों पर प्रभाव डालती है।
  • राहु-केतु के कारण ग्रहण होता है (पौराणिक कथा के अनुसार, ये दो छाया ग्रह हैं जो सूर्य-चंद्रमा को ग्रसित करते हैं)।
  • ग्रहण के समय किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है, क्योंकि यह समय अशुद्ध और अशुभ माना जाता है।
  • ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण का प्रभाव अलग-अलग राशियों पर पड़ता है, विशेषकर उन पर जिनका जन्मकालीन चंद्रमा या सूर्य ग्रहण से प्रभावित हो।

2. धार्मिक मान्यताएँ (Religious Beliefs)

  • सनातन धर्म में ग्रहण को एक पापकर्म का परिणाम माना जाता है, जिसमें राहु-केतु द्वारा सूर्य-चंद्रमा को ग्रसित किया जाता है।
  • ग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद रखे जाते हैं और पूजा-पाठ वर्जित होता है।
  • ग्रहण के बाद स्नान, दान और मंत्र जाप करके शुद्धिकरण किया जाता है।
  • महाभारत और पुराणों में ग्रहण से जुड़ी कथाएँ मिलती हैं, जैसे समुद्र मंथन के समय राहु-केतु का उदय।

3. सावधानियाँ (Precautions)

  • ग्रहण के समय भोजन न करना, सोना नहीं और किसी भी नए कार्य की शुरुआत न करना शुभ माना जाता है।
  • ग्रहण समाप्ति के बाद घर और मंदिरों की शुद्धि करने का विधान है।
  • सूतक काल: ग्रहण शुरू होने से पहले का समय, जिसमें पूजा-पाठ वर्जित होता है।
  • गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
  • ग्रहण के दौरान स्नान, ध्यान, मंत्र जाप, और दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
  • ग्रहण के बाद स्नान व घर की सफाई आवश्यक मानी जाती है।
  • गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है (जैसे घर के अंदर रहना, चाकू-कैंची का उपयोग न करना)।

निष्कर्ष: वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष और धर्म में इसे गहरा प्रभावशाली माना जाता है, जिसके कारण विशेष नियमों का पालन किया जाता है।

ग्रहण की पौराणिक कथा

  • समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों के बीच अमृत बंटवारे को लेकर विवाद हुआ।
  • भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को छल से अमृत पिलाने से रोका।
  • राहु नामक एक असुर ने छल से अमृत पी लिया, जिसे सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया।
  • क्रोधित भगवान विष्णु ने राहु का सिर काट दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह अमर हो गया।
  • तब से राहु सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाकर बदला लेता है।

ग्रहण: आत्मशुद्धि का समय

हिंदू संत और योगी मानते हैं कि:

  • ग्रहण का समय आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।
  • यह समय आत्म-निरीक्षण, ध्यान और साधना का होता है।
  • सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा पर ग्रहण का प्रभाव, मानव चित्त को भी प्रभावित करता है।

इतिहास में ग्रहण के उल्लेख

  • महाभारत में वर्णन है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के समय सूर्यग्रहण हुआ था।
  • रामायण में भी ग्रहण का संकेत मिलता है, जब राहु सूर्य को ग्रसने आता है।
  • महाकाव्य और पुराणों में ग्रहण को अधर्म के संकेत के रूप में दर्शाया गया है।
  • प्राचीन सभ्यताओं जैसे माया, मिस्र, चीन में भी ग्रहण को शुभ-अशुभ का प्रतीक माना जाता था।

ग्रहण देखते समय सावधानियाँ

  • सूर्य ग्रहण को सीधे न देखें, विशेष चश्मे का उपयोग करें।
  • चंद्र ग्रहण को नंगी आँखों से देखा जा सकता है।

2025 में पड़ने वाले ग्रहणों की सूची

ग्रहण प्रकारतिथिदिनदृश्यता (भारत में)
चंद्र ग्रहण14 मार्चशुक्रवारआंशिक (भारत में नहीं)
सूर्य ग्रहण29 मार्चशनिवारपूर्ण सूर्यग्रहण (भारत में नहीं)
चंद्र ग्रहण07 सितंबररविवारआंशिक (भारत में दिखाई देगा)
सूर्य ग्रहण21 सितंबररविवारआंशिक (भारत में आंशिक दृश्यता)

नोट: सूतक काल केवल उन्हीं ग्रहणों में मान्य होता है जो भारत में दृश्य हों।

ग्रहण और ज्योतिष: क्या कहती है कुंडली ?

ग्रहण का असर किस पर होता है?

  • राशियों पर प्रभाव: ग्रहण उस राशि और नक्षत्र में होता है जहां सूर्य या चंद्रमा स्थित होता है।
  • दशा/अंतरदशा में ग्रहण दोष हो तो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक या आर्थिक कष्ट हो सकते हैं।
  • ग्रहण से राजनीति, मौसम, शेयर मार्केट तक प्रभावित हो सकते हैं।

2025 में वृश्चिक और कन्या राशियों पर विशेष असर पड़ेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ग्रहण के समय क्या करना चाहिए?

✅ मंत्र जाप, ध्यान, शिव चालीसा, हनुमान चालीसा, या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
✅ सूर्य ग्रहण के समय “ॐ सूर्याय नमः” और चंद्र ग्रहण पर “ॐ चंद्राय नमः” मंत्र उपयोगी हैं।

ग्रहण के दौरान क्या करें ?

  • तुलसी के पत्तों को भोजन और पानी में डालें।
  • ग्रहण के बाद नए कार्य शुरू न करें।
  • दान-पुण्य करके नकारात्मक प्रभाव को कम करें।

गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानी रखनी चाहिए?

  • कोई धारदार वस्तु न चलाएं।
  • पेट पर रक्षा सूत्र बाँधें।
  • मंत्र जाप करें।
  • ग्रहण के समय कमरे में रहें और खिड़की-दरवाज़े बंद रखें।

क्या खाने-पीने पर कोई प्रतिबंध है?

हाँ। ग्रहण के दौरान कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
👉 पहले से पके भोजन में तुलसी के पत्ते डालकर शुद्ध रखा जाता है।

निष्कर्ष: चेतना का क्षण, डर नहीं ग्रहण

ग्रहण को डर का कारण नहीं, जागरण का समय मानना चाहिए। हमें प्रकृति के रहस्यों से जोड़ते हैं और आध्यात्मिक जागरूकता भी देते हैं। यह एक क्षणिक छाया है, जो हमें प्रकाश की कीमत समझाती है।
2025 के ग्रहण न केवल वैज्ञानिक चमत्कार हैं, बल्कि हमें याद दिलाते हैं कि ब्रह्मांड में हर घटना के पीछे एक दिव्य योजना है।

“ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा है।

खास आपके लिए –

Leave a comment