Holi 2025: कब मनाया जाएगा होली का पर्व, जानिए डेट और शुभ मुहूर्त

Holi: होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, होली आध्यात्मिक रूप से अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है। यह अहंकार (होलिका) के दहन और भक्ति (प्रह्लाद) की रक्षा का संदेश देती है। रंगों का पर्व जीवन में प्रेम, आनंद और एकता का संचार करता है, जो आत्मा की उच्च चेतना और दिव्यता को दर्शाता है।

आइए, सनातन के इस आर्टिकल में हम होली की तिथि, शुभ मुहूर्त, धार्मिक महत्व, परंपराएं और इससे जुड़े अन्य रोचक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

होली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

होली का त्योहार न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और नए सिरे से रिश्तों की शुरुआत करते हैं। होली की कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका से जुड़ी हुई है, जो भक्ति और सत्य की जीत का संदेश देती है।

होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति भक्ति से क्रोधित होकर उसे मारने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना की स्मृति में होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

होली के दूसरे दिन धुलंडी पर रंगों की होली मनाई जाती है, जो प्रेम, सौहार्द और एकता का प्रतीक है। लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाकर खुशियां बांटते हैं।

कब मनाया जाएगा होली का पर्व

होलिका दहन के दिन शाम को होलिका की पूजा की जाती है और उसके बाद होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद लोग आग के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन से सभी बुराइयां दूर हो जाएं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे होगा और इसका समापन 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे पर होगा। इस प्रकार, होलिका दहन 13 मार्च की रात को और रंगों की होली 14 मार्च को मनाई जाएगी

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

  • होलिका दहन का समय: होलिका दहन का मुहूर्त 13 मार्च,  रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय मिलेगा। 
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025 को सुबह 09:43 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 को सुबह 10:09 बजे

साल 2025 में होलिका दहन 13 मार्च की रात को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस दौरान होलिका दहन करना शुभ माना जाता है। होलिका दहन से पहले पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान विष्णु तथा प्रह्लाद की कथा सुनाई जाती है।

धुलंडी

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होलिका दहन के अगले दिन यानी 14 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, गुलाल से खेलते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। यह दिन पारंपरिक गीतों, नृत्य और आनंद के साथ मनाया जाता है।

यह पर्व न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में धुलंडी का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि होगी, जो होली मनाने का शुभ समय माना जाता है।

होली से जुड़ी परंपराएं

भारत के विभिन्न हिस्सों में होली की परंपराएं और उत्सव अलग-अलग होते हैं। आइए, कुछ प्रमुख परंपराओं पर नजर डालें:

1. लट्ठमार होली: उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली का विशेष महत्व है। यहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, और पुरुष ढाल से अपना बचाव करते हैं। यह परंपरा राधा-कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी मानी जाती है।

2. फूलों की होली: मथुरा और वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है, जहां लोग एक-दूसरे पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाते हैं। यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता और प्रेम का प्रतीक है।

होली पर सावधानियां

होली के त्योहार पर रंगों से खेलना बहुत ही मजेदार होता है, लेकिन इस दिन अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आजकल बाजार में केमिकल युक्त रंग मिलते हैं, जो त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए होली खेलने के लिए हर्बल और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, होली के दिन शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहें और स्वस्थ और सुरक्षित तरीके से होली का आनंद लें।

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होली का आनंद उठाने के लिए कुछ तैयारियां और सावधानियां बरतना आवश्यक है:

  • प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें: केमिकल युक्त रंग त्वचा और बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अतः हर्बल या घर पर बने प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें।
  • त्वचा और बालों की सुरक्षा: होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल या सरसों का तेल लगाएं और बालों में तेल की मालिश करें, ताकि रंग आसानी से निकल जाएं।
  • आंखों की सुरक्षा: आंखों को रंगों से बचाने के लिए सनग्लासेस पहनें।
  • पर्यावरण का ध्यान रखें: पानी की बर्बादी से बचें और प्लास्टिक बैलून का उपयोग न करें, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।
  • नशे से दूर रहें: भांग या शराब का सेवन न करें, ताकि किसी दुर्घटना से बचा जा सके।

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