सनातन-संस्कृति
सनातन संस्कृति भारत की प्राचीन और शाश्वत जीवनशैली है, जो वेदों, पुराणों, उपनिषदों और धर्मग्रंथों पर आधारित है। यह केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक व्यापक सभ्यता है जो मानवता, धर्म, कर्म, योग, संस्कार, पूजा-पद्धति, तीज-त्योहार, संगीत, नृत्य, और दैनिक जीवन के मूल्यों को समाहित करती है। इस श्रेणी में आप जानेंगे सनातन परंपराओं की वैज्ञानिकता, ऐतिहासिक महत्व और आज के जीवन में उनकी प्रासंगिकता। आइए, मिलकर समझते हैं उस संस्कृति को जिसने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना दी।
आरती का रहस्य: पूजा के बाद आरती क्यों की जाती है ?
भारतीय सनातन संस्कृति में पूजा-पाठ का एक विशेष स्थान है, और आरती इसका एक अनिवार्य अंग मानी जाती है। आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ईश्वर की उपासना का एक गहरा प्रतीक है। यह न केवल हमारे भक्तिभाव को प्रकट करती है, बल्कि ईश्वर के प्रति श्रद्धा और समर्पण की भी अभिव्यक्ति होती है। आइए समझते हैं कि पूजा के बाद आरती करने का क्या महत्व है।
होली पर करें ये विशेष उपाय, दूर होंगे सभी संकट
होली का त्यौहार रंगों, खुशियों और उत्साह का ही पर्व नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अवसर भी है, जब सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है और नकारात्मकता को दूर करने का श्रेष्ठ समय होता है। यदि आप जीवन में आर्थिक, पारिवारिक, स्वास्थ्य या किसी अन्य प्रकार के संकटों से जूझ रहे हैं, तो आइए, जानते हैं कि होली के अवसर पर किन उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी प्राप्त कर सकते हैं
Holi 2025: कब मनाया जाएगा होली का पर्व, जानिए डेट और शुभ मुहूर्त
Holi: होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, होली आध्यात्मिक रूप से अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है। यह अहंकार (होलिका) के दहन और भक्ति (प्रह्लाद) की रक्षा का संदेश देती है। रंगों का पर्व जीवन में प्रेम, आनंद और एकता का संचार करता है, जो आत्मा की उच्च चेतना और दिव्यता को दर्शाता है
महाशिवरात्रि का रहस्य: क्यों इस दिन शिव की पूजा है विशेष ?
महाशिवरात्रि आत्मचिंतन, भक्ति और आध्यात्मिक जागरण की रात है। यह शिव-शक्ति के दिव्य मिलन का पर्व है, शिव तत्त्व अनंत, अचल, निर्विकार चेतना का प्रतीक है, और यह रात्रि आत्मसमर्पण द्वारा उस चैतन्य से एकत्व स्थापित करने का अवसर देती है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक दिव्य संयोग है, जिसमें शिव-तत्त्व की ऊर्जा संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रकट होती है।
महाशिवरात्रि 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने के 10 सरल उपाय
महाशिवरात्रि, भगवान शिव का सबसे पवित्र पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मा के शिवत्व से मिलन की एक दिव्य रात्रि है। यह दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति से भरपूर होता है। शिवरात्रि की रात्रि केवल बाह्य रूप से जागरण की नहीं, बल्कि आंतरिक रूप से आत्मजागरण की रात्रि है। यह वह समय है जब हम अपने भीतर बसे शिवतत्त्व को पहचानकर, अपनी चित्तवृत्तियों को शांत कर सकते हैं
मृत्यु का रहस्य और शास्त्रों के अनुसार मृत्यु (Death) आने के पूर्व संकेत
मृत्यु सृष्टि का अटल सत्य है, जिसे कोई टाल नहीं सकता। यह केवल जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक अनिवार्य सत्य, एक यात्रा, या एक परिवर्तन के रूप में देखा जाता है। सनातन धर्म में मृत्यु (Death) को एक नए जीवन का प्रारंभ माना जाता है। इसे भयभीत होने की बजाय स्वीकार करने और आत्मिक उन्नति के लिए एक अवसर के रूप में देखा जाता है।
पुनर्जन्म (Reincarnation) के प्रमाण: क्या वैज्ञानिक शोध भी मानते हैं इसे ?
पुनर्जन्म (Reincarnation): पुनर्जन्म की अवधारणा अनादि काल से सनातन धर्म और अन्य आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा रही है। पुनर्जन्म अर्थात आत्मा का एक शरीर त्यागकर दूसरे शरीर में प्रवेश करना, भारतीय दर्शन और धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। लेकिन क्या विज्ञान भी पुनर्जन्म को मानता है? क्या पुनर्जन्म के कोई प्रमाण हैं? सनातन के पोस्ट में, हम पुनर्जन्म से जुड़े वैज्ञानिक शोध, रोचक तथ्य और इसकी सच्चाई को जानेंगे।
Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा की वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषी व्याख्या एवं इसके अद्भुत लाभ
Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह चालीसा 40 छंदों में भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया एक ऐसा भक्ति स्तोत्र है। यह केवल एक प्रार्थना नहीं है, बल्कि भगवान हनुमानजी की महिमा और उनके गुणों का गान है। इसे न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से भी गहन शोध और अध्ययन से मानसिक और शारीरिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी लाभकारी माना गया है।