साधना
साधना आत्म-साक्षात्कार की वह मार्ग है जो संयम, अनुशासन और निरंतर अभ्यास द्वारा साधक को परम सत्य की ओर ले जाता है। यह श्रेणी विविध साधनाओं जैसे मंत्र जप, तंत्र साधना, गायत्री साधना, चक्र साधना, नवदुर्गा साधना, और गुरु-दीक्षा पर आधारित गहन जानकारी प्रदान करती है। यहाँ आप जानेंगे साधना की विधि, नियम, उपवास, साधना काल, ध्यान के स्तर और दिव्य अनुभवों की प्रक्रिया को – शास्त्रों और संतों की वाणी के आलोक में। यह अनुभाग उन साधकों के लिए है जो आध्यात्मिक गहराई की खोज में हैं।
वैज्ञानिक शोधों में भी प्रमाणित मंत्रों का चमत्कार , जानें लाभ और सही विधि
मंत्र संस्कृत के शब्दों का एक विशेष संयोजन है, जो ध्वनि तरंगों और ऊर्जा के माध्यम से मनुष्य के शरीर और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालता है। ये ध्वनियाँ न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक हैं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इनकी शक्ति को समझा जा सकता है। मंत्रों की उत्पत्ति वैदिक ऋषियों द्वारा की गई थी, जिन्होंने इन्हें ध्यान और तपस्या के माध्यम सेखोज कर समाज को दिया। सनातन के इस पोस्ट में हम मंत्रों के पीछे छिपे विज्ञान, उनके प्रभाव, और सही तरीके से मंत्र जाप करने की विधि को समझेंगे।
कुश Kusha : सनातन धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में कुश (डाब) का पौराणिक महत्व
कुश Kusha : “पापाह्वय: ‘कु’ शब्द: स्यात् ‘श’ शब्द: शमनाह्वय: । तूर्णेन पाप शमनं येनैतत्कुश उच्यते ।।”
अर्थात्:- ‘कु’ शब्द समस्त पापों का वाचक है और ‘श’ शब्द सभी प्रकार के दोष पापों का नाशक है ,इसलिए शीघ्र ही पापो का नाश करने के कारण इसे “कुश” कहा गया है। कुश जिसे सामन्य घांस समझा जाता है उसका धार्मिक अनुष्ठानों में बड़ा महत्व है। इसको कुश ,दर्भ अथवा डाब भी कहते हैं।
Aaditya Hridaya Stotra: आदित्यहृदय स्तोत्र से सूर्य के समान तेज और यश की प्राप्ति
Aaditya Hridaya Stotra : सूर्य से पूरी सृष्टि को ऊर्जा और प्रकाश प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य सभी ग्रहों का राजा है। सूर्य को ज्योतिष शास्त्र में पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, तेज, आरोग्य, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति सूर्य की नियमित आराधना करता है, उसे सूर्य के समान तेज, यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ बगुलामुखी: शत्रुनाश के लिए ब्रह्मास्त्र है बगुलामुखी की साधना
माँ बगुलामुखी: पिताम्बरा के नाम विख्यात बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रुनाश और वाणी की सिद्धि के लिये की जाती है। माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। यह भगवती पार्वती का उग्र स्वरूप है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी है। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। शत्रुनाश के लिए ब्रह्मास्त्र है बगुलामुखी की साधना।
गुप्त नवरात्रि : दस महाविद्याओं की साधना से सिद्धियों की प्राप्ति
प्रतिवर्ष चार नवरात्रि होती है, दो नवरात्रि – चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में होती है और दो नवरात्रि आषाढ़ और माघ महीने की शुक्ल पक्ष में होती है। आषाढ़ और माघ माह की प्रतिपदा में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि एक विशेष नवरात्रि होती है जिसमें विशेष साधना और पूजा की जाती है। यह मुख्य रूप से तंत्र साधना से जुड़ी होती है। गुप्त नवरात्री में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
देवशयनी एकादशी 2024 को बन रहे दुर्लभ संयोग, व्रत और पूजा से मिलेगा मनोवांछित फल
देवशयनी एकादशी 2024 के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बन रहे हैं। ये सभी योग पूजा पाठ और शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं।ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति वाला माना जाता हैं। इस दिन व्रत करने से जाने अनजाने में हुए पापों का नाश होता हैं एवम् मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।