कुश Kusha : सनातन धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में कुश (डाब) का पौराणिक महत्व

कुश Kusha

कुश Kusha : “पापाह्वय: ‘कु’ शब्द: स्यात् ‘श’ शब्द: शमनाह्वय: । तूर्णेन पाप शमनं येनैतत्कुश उच्यते ।।”
अर्थात्:- ‘कु’ शब्द समस्त पापों का वाचक है और ‘श’ शब्द सभी प्रकार के दोष पापों का नाशक है ,इसलिए शीघ्र ही पापो का नाश करने के कारण इसे “कुश” कहा गया है। कुश जिसे सामन्य घांस समझा जाता है उसका धार्मिक अनुष्ठानों में बड़ा महत्व है। इसको कुश ,दर्भ अथवा डाब भी कहते हैं।