Basant Panchami 2025: यह शुभ दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। देवी भागवत के अनुसार बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और विवेक का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) का महत्व
इसी शुभ दिन देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ। अतः बसंत पंचमी के दिन ज्ञान, संगीत और सभी कलाओं की देवी सरस्वती की पूजा का विधान है। ब्रह्म वैवर्त पुराण और ब्रह्मांड पुराण के अनुसार आरंभ में यह सृष्टि नीरस थी। तब श्री कृष्ण के कंठ से पांच शक्तियां निःसरित हुई ,उनमें एक वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती भी था। देवी सरस्वती बुद्धि ज्ञान व सभी कलाओं में निवास करती है।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते।।
भावार्थः हे महा भाग्यवती, ज्ञानदात्री, ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली सरस्वती ! मुझे विद्या दो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।
बसंत पंचमी का आध्यात्मिक महत्व
- बसंत पंचमी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और विवेक का आशीर्वाद मिलता है।
- बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। माँ सरस्वती को वीणा वादिनी, श्वेताम्बरा, हंस वाहिनी आदि नाम से भी जाना जाता है।
- बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है, यानी सभी ग्रह सभी शुभ कार्यों के लिए अनुकूल स्थिति में होते हैं। इस दिन नए काम शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त की ज़रूरत नहीं होती।
- बसंत पंचमी को बहुत शुभ मुहूर्त माना जाता है। वर्ष में कुछ मुहूर्त अबूझ मुहूर्त माने जाते हैं। जैसे देवोत्थान एकादशी, अक्षय तृतीया आदि। इसी प्रकार वसंत पंचमी भी एक अबूझ मुहूर्त है इस दिन नया व्यवसाय, गृह निर्माण, विवाह आदि करना शुभ माना जाता है।
- ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में बुध कमजोर है ,तो शिक्षा में बाधा आती है और इस दिन सरस्वती मां की पूजन से यह बाधा दूर हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुनने या बोलने की समस्या भी देवी सरस्वती की उपासना से दूर हो जाती है।
- इस दिन बच्चों को विध्यारम्भ कराया जाता है।
- इस दिन मां सरस्वती को पूजा में सफेद चंदन, सफेद और पीले पुष्प, लावा ,केसर आदि अर्पित किया जाता है।
बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व
- बसंत पंचमी दिन से पृथ्वी की अग्नि सृजन की दिशा में चलती है।
- इस दिन पेड़-पौधे फूलने लगते हैं और फसलें पकने लगती हैं।
- इस दिन मौसम में संतुलन बना रहता है और ठंड की अनुभूति कम होने लगती है।
- पीले रंग का प्रयोग इस दिन सबसे ज़्यादा किया जाता है। पीले रंग को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पीला रंग डिप्रेशन दूर करने में कारगर है। पीला रंग आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- पीले रंग को सूर्य के प्रकाश का रंग माना जाता है, इसलिए यह ऊष्मा शक्ति का प्रतीक है।
- पीला रंग तारतम्यता, संतुलन, पूर्णता और एकाग्रता प्रदान करता है।
बसंत पंचमी का सांस्कृतिक महत्व
- यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
- यह ज्ञान, बुद्धि, कला, और शिक्षा की देवी सरस्वती की पूजा का दिन है।
- यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की जीत और प्रकृति के कायाकल्प का प्रतीक है।
- यह त्यौहार कंपकंपाने वाली शिशिर ऋतु के अवसान तथा मोहक वसंत ऋतु के आगमन के
संधि काल में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह ऋतु जीवन में नई उमंग और सृजनशीलता का प्रतीक है। - बसंत को ऋतुओं का राजा भी कहते हैं। इस समय मानव तो क्या प्रकृति भी झूम उठती है। चारों ओर नवीन कोंपलें उग आती हैं ।
- आमों पर फूल आ जाते है। प्रकृति नाना प्रकार के फूलों से खिल उठती है। खेत में सरसों के पीले फूलों की चादर सी बिछ जाती है। गेंदे के पीले फूलों से वन उपवन सज जाते हैं। कुल मिलाकर धरती पर नवीन ऊर्जा और आनंद का संचार होता है
- वसंत ऋतु, उत्साह, उमंग, स्फूर्ति से परिपूरित आनंददायक ऋतु है।
- इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। पीला रंग समृद्धि, शुभता व सौम्य ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
- इस दिन बच्चे पतंग उड़ाते हैं। इस दिन पीले पकवान बनाए जाते हैं।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) कब है
बसंत पंचंमी शुभ मुहूर्त (Basant Panchami Shubh Muhurat)
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का शुभारंभ, 02 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 03 फरवरी को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व रविवार, 02 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –
बसंत पंचमी सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 07 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर
निष्कर्ष
बसंत पंचमी का पर्व हमें विकारों से दूर रहकर ज्ञान के आधार पर जीवन को श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा देता है। बसंत पंचमी की पूजा का अर्थ है कि हम ज्ञान व बुद्धि को चित्त में रखकर अनेक प्राप्तियां से स्वयं को धन्य करें।
ज्ञान के अंधकार से निकल ज्ञान के प्रकाश की ओर चलें । यही बसंत पंचमी की आध्यात्मिक विकास यात्रा है यह एक सिद्धिदायक दिन माना जाता है अतः इस दिन हमें बसंत पंचमी के वास्तविक रहस्य को समझ कर ज्ञान प्रकाश में आध्यात्मिक विकास की ओर बढ़ना चाहिए।
बसंत पंचमी केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत, सृजनशीलता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यह दिन हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और प्रकृति के साथ जुड़े रहने की प्रेरणा देता है। मां सरस्वती की कृपा से हम सभी को ज्ञान, संगीत, और कला में प्रगति मिले, यही कामना है।
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