गुरू पूर्णिमा 2024: गुरु की कृपा से जीवन में सफलता निश्चित

गुरू पूर्णिमा का महत्त्व क्या है ?

सनातन संस्कृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु मे गु का अर्थ अन्धकार या अज्ञान और रू का अर्थ प्रकाश (अन्धकार का निरोधक) । अर्थात् अज्ञान को हटा कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता हैं। गुरू की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होता है गुरू की कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है ।

सनातन संस्कृति में गुरू पूर्णिमा का विशेष महत्व है, इसी पूर्णिमा पर भगवान शिव ने दक्षिणामूर्ति का रूप धारण कर ब्रह्मा जी के चार मानस पुत्रों को वेदों का ज्ञान प्रदान किया।

गुरू पूर्णिमा के दिन ही महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ, उन्हें आदि गुरू कहा जाता हैं। महर्षि वेद व्यास जी संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे इसलिए भी इनके सम्मान में गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। महर्षि वेद व्यास ने ही सर्व प्रथम मानव जाति को चारो वेदों का ज्ञान दिया था इसलिए वेद व्यास जी को प्रथम गुरु माना जाता हैं ।

पंचाग के अनुसार आषाढ़ मास की एकादशी से अथवा पूर्णिमा से साधु संत एवं गुरू चातुर्मास करते हैं, वे चार माह एक स्थान पर रह कर अपने शिष्यों को ज्ञान देते हैं। गुरू पूर्णिमा सभी आध्यात्मिक और हमे ज्ञान देने वाले गुरुजनों को समर्पित एक सनातन परम्परा है। इस दिन हम अपने गुरू का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ।

सनातन

शास्त्रों में –

गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: । गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।

हमारी सनातन संस्कृति में गुरू को सर्वोच्च और अत्यन्त सम्मान का प्रतीक माना जाता हैं। गुरू ही ब्रह्म है जो सृष्टि के रचयिता हैं गुरू ही सृष्टि के पालक है जैसे श्री विष्णु भगवान । गुरू ही इस सृष्टि के संहारक भी है जैसे भगवान शिव । गुरू साक्षात पूर्ण ब्रह्म है जिनको अभिवादन (नमन) और इसी भाव से ईश्वर तुल्य गुरू को नमस्कार करता हूं ।

कबीर दास जी ने भी ” गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय ” में गुरू को गोविन्द से भी अधिक महत्त्व बताया है , जो सद्मार्ग की और अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है और स्वयं द्वारा अर्जित ज्ञान को अपने शिष्यों में बाटता है । गुरू पूर्णिमा के दिन साधक अपने अपने गुरू के पास या आश्रम में जाकर गुरुकृपा प्राप्त करते हैं । प्रत्येक सनातनी या हिन्दू को इस दिन विशेष रूप से अपने गुरू का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए ।

हनुमान चालीसा – 

तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में भी कहा है – “जय जय जय हनुमान गोसाई कृपा करहु गुरू देव के नाही” जिन्होंने अपने गुरू नहीं बना रखे हैं या जिनके आध्यात्मिक गुरु नहीं है उनको श्री हनुमान जी को अपना गुरू बनाना (मानना) चाहिए ।

ज्योतिष शास्त्र –

ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से अपनी कुंडली में गुरू के शुभ फल प्राप्त करने के लिए अपने गुरुजनों एवम् बड़ो का आदर करना चाहिए ।

गुरू मंत्र

  • ॐ गुरुभ्यों नम:।
  • ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
  • ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
  • ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
  • गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।

कब है गुरू पूर्णिमा 2024 में

पञ्चांग के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई 2024 को 18 .01 से प्रारम्भ हो रही है और पूर्णिमा तिथि का समापन 21 जुलाई 2024 को 15 .48 पर होगा । उदिया तिथि के अनुसार इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 , रविवार को मनाई जाएगी ।

निष्कर्ष (Conclusion)

गुरू पूर्णिमा — अन्धकार (अज्ञान) को हटा कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले को गुरु कहते हैं। शास्त्रों में गुरु को ईश्वर तुल्य माना गया है । गुरू पूर्णिमा सभी आध्यात्मिक और हमे ज्ञान देने वाले गुरुजनों को समर्पित एक सनातन परम्परा है। इस दिन हम अपने गुरू का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरू की कृपा पाने के लिए हमे अपने गुरुजन एवम् बड़ो का आदर करना चाहिए ।

आपके अमूल्य सुझाव , क्रिया – प्रतिक्रिया स्वागतेय है ।

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