ज्योतिष & वास्तु
प्राचीन भारत में वैदिक काल से ग्रह, नक्षत्रों और खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने के विषय को ज्योतिष कहते हैं ।
ज्योतिष शास्त्र में ग्रह, नक्षत्रों की सटीक गणना और उसका जीवन एवम् सृष्टि पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता हैं । इसमें गणित ज्योतिष (theoretical astronomy) , वेदांग ज्योतिष , फलित ज्योतिष , अंक ज्योतिष (numerology) , खगोल शास्त्र (astronomy) , प्रमुख हैं ।
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है। यह विद्या भारत की प्राचीन विद्याओं में से एक है। यह अथर्ववेद का अंग है। वास्तु शास्त्र का सम्बन्ध दिशाओं और ऊर्जा से है, इसमें दिशाओं को आधार बनाकर भूखण्ड, भवन, मन्दिर या निर्माण के आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक (positive) किया जाता हैं। ताकि मानव जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव ना डाल सके और सकारात्मक प्रभाव पड़े।
इस सृष्टि के साथ मानव जीवन भी पञ्च महाभुत पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है और यही तत्व जीवन और सृष्टि को प्रभावित करते हैं।