Ganesh Chaturthi : सनातन संस्कृति में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार इसी दिन रिद्धि सिद्धि के दाता, विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी को पूजा जाता हैं। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। श्री गणेश जी सुख समृद्धि दाता भी है। इनकी कृपा से परिवार पर आने वाले संकट और विध्न दूर हो जाते हैं।
Ganesh Chaturthi 2024 पर इन उपायों से दूर होंगी सभी विघ्न-बाधाएं
गौरी पुत्र गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है। इसलिए किसी भी शुभ मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले उन्हें पूजा जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के पूरे होते हैं। सनातन धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, क्योंकि वह सभी दुखों और कष्टों को हर लेते हैं।
भगवान श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए इन उपायों को करें। इससे आपकी सारी बाधाएँ दूर हो जाती है और सफलता प्राप्त होती है। इस दिन की गई आराधना से बुद्धि, विवेक में वृद्धि होती है, जिससे मानसिक शांति और सफलता की प्राप्ति होती है। जानते है उपाय –
भगवान श्री गणेश जी को चढ़ाएं दूर्वा की माला
गणेश जी को दूर्वा बेहद प्रिय होती है। इसलिए बहुत से भक्त गणेश पूजन के समय इसे गणपति जी को जरूर चढ़ाते हैं। लेकिन गणेश उत्सव के समय अगर आप 51 दूर्वा की माला चढ़ाएंगे , तो इससे आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होगी। लेकिन यह आपको तब तक चढ़ानी है, जब तक आपके घर में गणपति विराजमान हैं। इससे आपके घर में पॉजिटिविटी बनी रहेगी। साथ ही, आपकी सारी इच्छा पूरी हो जाएगी।
भगवान श्री गणेश जी को चढ़ाएं सिंदूर
हम सब जानते है कि हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। लेकिन यह वही लोग चढ़ाते हैं, जिनकी मांगी हुई इच्छा पूरी होती है। आप इसी सिंदूर को गणपती को चढ़ाएं। इससे भी आपकी इच्छा पूरी होगी। इस सिंदूर को आप अपने घर में रखे गणपति पर चढ़ाएं। इसके बाद रोजाना इसका तिलक लगाएं। इससे आपके सारे काम बन बनेंगे।
इन मत्रों का करें जाप
गणेश पूजन के समय घर में सुबह और शाम पूजा होती है। इस पूजा में आरती की जाती है। लेकिन अगर आपको भगवान गणेश को प्रसन्न करना है, तो इसके लिए आप एक मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। गणेश पूजा मंत्र- ॥ ॐ गं गणपतये नमः ॥ इस मंत्र का जाप करें।
गणेश चतुर्थी की पूजन विधि
भगवान श्रीगणेश जी का पूजन आह्वान, आसन, अर्ध्य, पाद्य, आचमन, पंचामृत स्नान, शुद्धोदक स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवित, सिंदूर, आभूषण, दूर्वा, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, पान आदि के साथ पूजान कर घी से निर्मित लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए।
इस दिन प्रात:काल स्नानादि करके गणेशजी की प्रतिमा को सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार विधि से पूजा करते हैं और दक्षिणा अर्पित करके इक्कीस लड्डुओं का भोग लगाते हैं। इनमें से पाँच लड्डु गणेशजी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों को दान में देने चाहिए। इस दिन गणपति पूजन करने से बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है और सभी विघ्न-बाधा नष्ट हो जाती हैं।
अपने घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठान व कार्यलयों में भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं साथ ही घर और प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर लगी गणेश प्रतिमा का पूजन भी किया जाता है। विघ्न विनायक श्रीगणेश जी को देवताओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। श्री गणेश बुद्धि के देवता हैं। गणेश जी का वाहन मूषक है। इनकी दो पत्नियाँ ऋद्धि और सिद्धि हैं और इनका प्रिय भोग मोदक है।
गणेश चतुर्थी 2024 कब है
इस बार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन की महत्ता को अधिक बढ़ा रहे हैं।आइए जानते है शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।
रवि और ब्रह्म योग में होगी गणेश चतुर्थी पूजा
इस वर्ष गणेश चतुर्थी की पूजा रवि और ब्रह्म योग में होगी। चतुर्थी के दिन रवि योग सुबह 06:02 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक है, वहीं ब्रह्म योग सुबह से लेकर रात 11:17 बजे तक है।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर में 03:01 बजे से लेकर 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। और गणपति की स्थापना की जाएगी।
गणेश चतुर्थी 2024 पूजा का शुभ समय
इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर आप भी अपने घर पर गणपति बप्पा की स्थापना करना चाहते हैं तो आपको मूर्ति स्थापना और गणेश पूजा के लिए ढाई घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा. 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा का मुहूर्त 11:03 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है।
अभिजीत मुहूर्त – गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना आप अभिजीत मुहूर्त में करें। यह घट और मूर्ति स्थापना के लिए अच्छा समय माना जाता है. उस दिन अभिजीत मुहूर्त 11:54 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक है।
गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करें
गणेश चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि गणेश चतुर्थी के दिन भाद्रपद की विनायक चतुर्थी है। चंद्र दर्शन से मिथ्या कलंक का भागी बनना पड़ता है। भगवान श्रीकृष्ण पर मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था।