सनातन धर्म में हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है। हरियाली अमावस्या श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आती है। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना है, हरियाली अमावस्या को विशेष रूप से नवग्रह को अनुकूल करने के महत्व के लिए जाना जाता है। हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व अनेक पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है।
हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व अनेक पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्रियां अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, होम और देव पूजा और वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सच्चे मन से उपासना करने से अनजाने में किए हुए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। शुभ फल की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। साथ ही विशेष दिन पर स्नान-दान का बहुत महत्व है।
कब हैं हरियाली अमावस्या
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्रावण मास की अमावस्या तिथि 03 अगस्त, 2024 को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। वहीं, इसका समापन 04 अगस्त, 2024 को दोपहर 04 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार श्रावण की हरियाली अमावस्या रविवार, 04 अगस्त को मनाई जाएगी।
रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग
इस बार रविवार के दिन हरियाली अमावस्या होने के कारण रवि पुष्य योग का निर्माण भी हो रहा है, क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह योग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी अमावस्या तिथि के दिन रहेगा। इन शुभ योगों के चलते इस दिन पूजा-पाठ, दान और तर्पण करना बेहद शुभ माना जा रहा है।
हरियाली अमावस्या पूजन सामग्री
शहद , दही , देशी घी , धतूरा , फल-फूल , बेलपत्र , रोली , चंदन , दीपक एवं गंगाजल आदि
हरियाली अमावस्या पर कैसे करे पूजा
वैसे तो अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन सावन में पड़ने वाली अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
हरियाली अमावस्या के दिन ब्रम्हा मुहूर्त में उठें और स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद मंदिर की सफाई कर गंगाजल से पवित्र करें। अब चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति विराजमान करें। महादेव का विधिपूर्वक अभिषेक करें। फल, फूल और धूप चढ़ाएं। देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करना साधक के जीवन के लिए बेहद फलदायी साबित होता है। अंत में खीर, फल, मिठाई और लापसी का भोग लगाकर लोगों में प्रसाद बाटें।
Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई हैं।
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