Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा अश्विन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासतौर पर, शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाने और चांदनी में रखने की परंपरा सदियों से प्रचलित है। आइए जानते हैं कि इस परंपरा का क्या पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व (Sharad Purnima Kheer)
वैसे तो सभी पूर्णिमा का विशेष महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, वस्त्र और धन का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से व्यक्ति के सभी पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा को खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने के पीछे एक प्राचीन और धार्मिक मान्यता है, जिसका आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं पौराणिक आधार माना जाता है। जानते हैं इसके पीछे का रहस्य –
1.अमृत वर्षा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। यह मान्यता है कि इस रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है। यही कारण है कि इस दिन चांदनी में खीर रखने की परंपरा है।
2.चंद्रमा के औषधीय गुण
शरद पूर्णिमा की रात को यह माना जाता है कि चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और उसकी किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं। चंद्रमा की ये किरणें शरीर और मन को शांत करती हैं और इसमें रोगनाशक शक्तियां होती हैं। खीर, जो दूध और चावल से बनाई जाती है, चंद्रमा की इन दिव्य किरणों को सोख लेती है और इसे अमृत तुल्य माना जाता है।
3.आयुर्वेदिक लाभ
आयुर्वेद में यह माना गया है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की शीतलता और उसकी किरणों से मिलने वाले तत्व पित्त दोष को संतुलित करते हैं। पित्त दोष के कारण शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिसे शांत करने के लिए दूध से बनी ठंडी खीर का सेवन फायदेमंद माना जाता है।
4.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार
चंद्रमा मन और औषधि का देवता है और शरद पूर्णिमा पर वह 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है।
5.मां लक्ष्मी का प्राकट्योत्सव
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी को प्रिय खीर का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद मिलता है। हर साल शरद पूर्णिमा के पर्व को धन की देवी मां लक्ष्मी का प्राकट्योत्सव के रूप में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं।
6.सुख-सौभाग्य में वृद्धि
शरद पूर्णिमा की रात को एक बर्तन में खीर रखकर उसे रातभर खुले आसमान में चांदनी के रख दें। अब अगले दिन पूरे परिवार के साथ इस खीर का सेवन करें। यह शरद पूर्णिमा का एक प्रसिद्ध उपाय है, जिसे करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
7.शारीरिक एवं मानसिक रोगों से मुक्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात में खीर खाने से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है। चंद्रमा की शीतल किरणों के प्रभाव से खीर का सेवन व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति को संतुलित करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो मानसिक तनाव या शारीरिक थकावट से गुजर रहे होते हैं। मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
8.दूध और चावल का महत्त्व
दूध को शीतलता और पौष्टिकता का प्रतीक माना जाता है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और मानसिक शांति देता है। वहीं, चावल सरल और सात्विक आहार माना गया है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। दूध और चावल का यह संयोजन पाचन और पोषण के लिए उत्तम होता है, और इसे चंद्रमा की रोशनी में रखकर इसका महत्त्व और बढ़ जाता है।
9.संगीत और साहित्य
शरद पूर्णिमा की रात को संगीत और काव्य रचनाओं के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
10.महारास पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा को ब्रज क्षेत्र में महारास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण और गोपियों के दिव्य महारास का प्रतीक है। द्वापर युग में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने धवल चांदनी में महारास किया था। इससे चंद्र देव ने प्रसन्न होकर अमृत की वर्षा की थी।
शरद पूर्णिमा की रात करें ये उपाय
मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए: सनातन धर्म में आश्विन माह में आने वाली शरद पूर्णिमा को काफी खास माना गया है। यह तिथि मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति हेतु उत्तम मानी गई है। ऐसे में आप शरद पूर्णिमा की रात को कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं, जिससे आपको धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है, साथ ही व्यक्ति के सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।
शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष 5 घी के दीये जलाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए ‘ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः’ मंत्र का कम-से-कम 1 माला जप करें। इस दिन पर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
संतान की खुशहाली के लिए: शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस तिथि पर महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली के लिए व्रत भी करती हैं। शरद पूर्णिमा की एक और प्रसिद्ध कथा है कोजागरी व्रत की। इस व्रत से जुड़ी कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी रात को भ्रमण करती हैं और यह पूछती हैं, “को जागर्ति?” अर्थात् “कौन जाग रहा है?” जो लोग जागकर लक्ष्मी जी का स्वागत करते हैं, उन्हें समृद्धि और सुख का आशीर्वाद मिलता है।
घर में सुख-शांति के लिए: इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।
कार्यों में आ रही रुकावट के लिए: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। साथ ही शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करते हैं। इसके बाद विधिपूर्वक विष्णु जी की उपासना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में शुभ फल मिलता है। साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कार्यों में आ रही रुकावट से छुटकारा मिलता है।
शरद पूर्णिमा कैसे मनाएं?
- दिन में घर की साफ-सफाई करें।
- शाम को देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा के लिए विशेष स्थान तैयार करें।
- गाय के दूध और चावल की खीर बनाएं।
- चांदी के बर्तन में खीर को रखें और इसे खुली चांदनी में रख दें।
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