गणेश चतुर्थी 2023: महत्त्व, व्रत, पूजन विधि एवं मंत्र

गणेश चतुर्थी  

सनातन संस्कृति में पञ्चांग के अनुसार प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता हैं। इसके साथ ही गणेशोत्सव पर्व की शुरुआत होती हैं। यह महोत्सव 10 दिनों तक चलता है। दस दिनों बाद अनन्त चतुर्दशी को भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार इसी दिन रिद्धि सिद्धि के दाता, विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। शास्त्रोनुसार विधि विधान से पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

गणेश चतुर्थी का महत्त्व  

गणेश चतुर्थी के पर्व का आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्त्व है। शास्त्रोनुसार भगवान श्री गणेश जी को विघ्नहर्ता एवम् रिद्धि सिद्धि का दाता कहा जाता हैं। प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी को पूजा जाता हैं। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। 

भगवान श्री गणेश जी को गणपति, विनायक, गजानन, एकदंत और विध्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता हैं। गणेश जी को देवों में सबसे बुद्धिमान माना जाता हैं। श्री गणेश जी परिवार में सुख समृद्धि दाता भी है। इनकी कृपा से परिवार पर आने वाले संकट और विध्न दूर हो जाते हैं। गणपति के बिना घर में लक्ष्मी जी का पूजन एवम् प्रवेश भी नहीं होता।

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

इस वर्ष 2023 को आप गणेश प्रतिमा घर लाकर, अपनी सामर्थ्य अनुसार दिए गए मुहूर्त अनुसार पूजन करें –       

 चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ –   दिनांक 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बज कर 39 मिनट से प्रारम्भ  । चतुर्थी तिथि का समापन –    दिनांक 19 सितंबर 2023 को दोपहर 1 बज कर 41 मिनट  तक   ।   गणेश चतुर्थी व्रत एवं पूजन – 19 सितम्बर , 2023  समय 11 बज कर 11मिनट से 1बज कर 41 मिनट तक ।   गणपति जी का विसर्जन ( अनन्त चतुर्दशी )  – दिनांक 28 सितम्बर 2023 को।

गणेश जी की पूजन विधि  

गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नानादि आदि करके घर के पूजा स्थल पर घी का दीप जलाएं। सर्व प्रथम चतुर्थी व्रत पूजा का संकल्प करें। इस दिन शुभ मुहूर्त में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करे। प्रतिमा आप अपने सामर्थ्य के अनुसार छोटी या बड़ी ला सकते हैं। प्रतिमा को गंगाजल से अभिषेक कर पुष्प, दुर्वा ( दूब घास ) अर्पित करें। गणपति जी को दुर्वा अति प्रसन्न है । 

गणेश पूजा के दौरान सिन्दूर, धूप लगाए। गणेश जी को उनका प्रिय भोग लड्डू ( मोदक) अर्पित करें। भोग लगाने के बाद गणपति जी की आरती करें एवम् प्रसाद वितरण करे। 

गणेश चतुर्थी की पूजन सामग्री मे लाल कपड़ा, नारियल, रोली, मौली, जनेऊ, दुर्वा, कलश, पंचमेवा, गंगाजल एवं पंचामृत आदि ।

भगवान श्री गणेश जी के चमत्कारी मंत्र  

आप श्रद्धा से नियमित रूप से मंत्रो का जाप करते हैं तो सफलता निश्चित मिलती हैं। शास्त्रों में मंत्र के बारे में कहा गया है कि मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। मंत्र एक प्रकार की वह शक्ति होती हैं जिसकी तुलना हम गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय शक्ति और विद्युत शक्ति से कर सकते हैं। यह मान्यता ही नहीं बल्कि सनातन सत्य है। प्रत्येक मंत्र की एक निश्चित ऊर्जा, फ्रिक्वेंसी और वेवलेंथ होती हैं। इसलिए अपनी सामर्थ्य अनुसार मंत्र जप कर सकते हैं। हो सके तो 108 बार जप करें। मनोकामना पूर्ति हेतु, एवम् रिद्धि सिद्धि हेतु निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं ।   ॐ गम गणपतये नमः  के अलावा संकटनाशन गणेश स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं ।

चतुर्थी तिथि को चन्द्र दर्शन न करें  

गणेश चतुर्थी या किसी भी चतुर्थी को चन्द्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए । इस दिन चन्द्र दर्शन करने से भविष्य में कलंक एवम् बदनामी का भय होता है। इसलिए इस दिन भूलकर भी चंद्र दर्शन न करें ।

निष्कर्ष (Conclusion)

सनातन परम्परा में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता हैं। चतुर्थी तिथि को गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं और अनन्त चतुर्दशी को गणपति बप्पा का विसर्जन करते हैं। यह पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है एवम् धूमधाम से मनाया जाता हैं। भगवान श्री गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना जाता हैं। गणेश जी का व्रत रखने एवम् घर में गणपति जी की स्थापना करने से घर में लक्ष्मी जी का वास होता है एवम् भक्तो के सारे विघ्न, संकट दूर हो जाते हैं। प्रत्येक हिन्दू को इसे अवश्य मनाना चाहिए।  यह article आपको कैसा लगा। आपके सुझाव हमारा मार्गदर्शन करेंगे। धन्यवाद । जय श्री राम ।

Leave a comment