Surya Namaskar: सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को नमस्कार या अर्पण करना होता है। सूर्य नमस्कार से संपूर्ण शरीर को आरोग्य , शक्ति और आध्यात्म की प्राप्ति होती है। सूर्य नमस्कार से शरीर की समस्त आंतरिक ग्रंथियों के Harmons (अंतः स्त्राव) की प्रक्रिया का नियमन होता है। सूर्य नमस्कार एक सर्वोत्तम Cardio Vascular व्यायाम भी है।
सूर्य नमस्कार Surya Namaskar
सूर्य नमस्कार से शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगो में क्रियाशीलता आती है। यह योगासन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत एवं स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है। सूर्य नमस्कार से संपूर्ण शरीर को आरोग्य, शक्ति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
सूर्य नमस्कार से लाभ Benefits of Surya Namaskar
- सूर्य नमस्कार एक पूर्ण व्यायाम है। इससे शरीर के सभी अंग – प्रत्यंग बलिष्ठ , निरोग एवं सुन्दर होते हैं।
- सूर्य नमस्कार से ओज , तेज और बल की वृद्धि होती है एवम् Skin में ग्लो आता है।
- यह पेट , आंत , अमाशय , अग्नाशय , हृदय एवम् फेफड़ों को स्वस्थ करता है।
- इससे रीढ़ (मेरूदंड) एवं कमर को लचीला बना कर विकृति को दूर करता है।
- सूर्य नमस्कार से संपूर्ण शरीर में रक्त संचार को सुचारू रूप से सम्पन्न करता है , इसलिए रक्त की अशुद्ध को भी दूर कर चर्म रोगों का नाश करता है।
- सूर्य नमस्कार से हमारे शरीर की मांसपेशियां जैसे – हाथ, पैर, भुजा, जंघा एवं कंधा आदि पुष्ट और सुन्दर होती हैं।
- यह डायबिटीज के लिए भी विशेष उपयोगी है।
- सूर्य नमस्कार सम्पूर्ण शरीर को पूर्ण आरोग्य प्रदान करता है।
सूर्य नमस्कार के बारह आसन Twelve postures of Surya Namaskar
सूर्य नमस्कार बारह शक्तिशाली योग-आसनों का एक समन्वय है। और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यह शरीर एवं मन दोनों को चुस्त दुरुस्त रखता है।
- 1 प्रणामआसन – ॐ मित्राय नमः
- 2 हस्तउत्तानासन – ॐ रवये नमः
- 3 हस्तपाद आसन – ॐ सूर्याय नमः
- 4 अश्व संचालन आसन – ॐ भानवे नमः
- 5 दंडासन – ॐ खगय नमः
- 6 अष्टांग नमस्कार – ॐ पुष्णे नमः
- 7 भुजंग आसन – ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- 8 पर्वत आसन – ॐ मारिचाये नमः
- 9 अश्व संचालन आसन – ॐ आदित्याय नमः
- 10 हस्तपाद आसन – ॐ सावित्रे नमः
- 11 हस्तउत्थान आसन – ॐ आर्काय नमः
- 12 ताड़ासन – ॐ भास्कराय नमः
सूर्य नमस्कार की विधि Method of Surya Namaskar
सूर्य नमस्कार यथासंभव सूर्योदय के समय करे एवं खाली पेट करे, सूर्य नमस्कार आसन से पूरा शरीर क्रियाशील रहता हैं।
1. प्रणाम आसन
सूर्य नमस्कार करने के लिए पूर्व दिशा की ओर सूर्यभिमुख खड़े होकर अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़कर रखें और शरीर का पूरा वजन दोनों पांवों पर समान रूप से डालें।
अपने दोनों हाथ श्वास लेते हुए ऊपर उठाएं और श्वास छोड़ते हुए हाथों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में लेकर आएं।
2. हस्तउत्तानासन
इस आसन में श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं और पीछे ले जाए। अपनी भुजाओं को कानों के पास में रखें। इस आसन में पूरे शरीर को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें। अपनी छाती को ऊपर उठाएं।
3. हस्तपाद आसन
श्वास छोड़ते हुए रीढ़ को सीधी रखते हुए कमर से आगे झुके। पूरी तरह श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को पंजों को जमीन पर रखे।
4. अश्वसंचालन आसन
अश्वसंचालन आसन में श्वास लेते हुए जितना संभव हो सके दाहिना पैर पीछे ले जाए। दाहिने घुटने को जमीन पर रख सकतें हैं। अपनी दृष्टि को ऊपर रखे । बायां पैर दोनों हथेलियों के बीच में रहे
5. दण्डासन
दंडासन में श्वास लेते हुए बाए पैर को पीछे ले जाए और पूरा शरीर सीधी रेखा में रखें। अपने हाथ जमीन के लंबवत रखें।
6. अष्टांग नमस्कार
इस आसन में श्वास बाहर छोड़ते हुए दाए पैर को भी पीछे ले जाए। सिर और गर्दन दोनों हाथों के बीच रहें। कमर और नितम्ब ऊपर उठा कर हाथों एवं पैर के पंजों को स्थिर रखते हुए, छाती एवम् घुटनों को भूमि पर स्पर्श करे।
इस प्रकार दो हाथ, दो पैर, दो घुटनें, छाती एवं सिर इन आठ अंगो के भूमि पर टिकने से यह अष्टांग आसन हैं। इसमें श्वास – प्रश्वास सामान्य रखें।
7. भुजंग आसन
भुजंगासन में आगे की ओर सरकते हुए छाती को ऊपर उठाएं। श्वास अन्दर भरकर छाती को ऊपर उठाते हुए ऊपर की ओर दृष्टि रखें। कमर भूमि पर टिकी हुई हों।
8. पर्वत आसन
पर्वत आसन में श्वास छोड़ते हुए रीढ़ एवम् नितंब के निचले भाग को ऊपर उठाएं। छाती को नीचे झुकाकर कमर के भाग को ऊपर उठा कर खिंचाव को गहराई से अनुभव करे।
9. अश्व संचालन आसन
अश्वसंचालन आसन में श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाए, बाए घुटनें को जमीन पर रख सकतें हैं। अपनी दृष्टि ऊपर की ओर रखें।
10. हस्तपाद आसन
श्वास छोड़ते हुए बाए पैर को आगे लाए, हथेलियों को जमीन पर टिकाए। यह पूर्ववर्ती हस्तपाद आसन की तरह ही है।
11. हस्तउत्थान आसन
इस आसन में श्वास लेते हुए रीढ़ को धीरे धीरे ऊपर लाए। दोनों हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाए। नितम्ब को आगे की तरफ रखे।
12. ताड़ासन
ताड़ासन में श्वास छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें । इसके बाद हाथों को नीचे लाए। इस अवस्था में विश्राम करें। अपने शरीर में क्रियाशीलता को परखें।
सूर्य नमस्कार कौन न करे…
1. पीठ दर्द की समस्या से ग्रस्त रोगी सूर्य नमस्कार शुरू करने से पहले एक्सपर्ट से उचित सलाह अवश्य लें।
2. हर्निया और उच्च रक्तचाप के मरीजों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
3. महिलाएं पीरियड के समय सूर्य नमस्कार आसन न करें।
4. गर्भवती महिला तीसरे माह के गर्भ के बाद से इसे करना बंद कर दें।
आपके अमूल्य सुझाव , क्रिया – प्रतिक्रिया स्वागतेय है।
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